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    Tuesday, December 3, 2024
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      पत्रकारों पर नर्सों के गंभीर आरोप की जांच से भाग रहा है प्रशासन

      बिहार शरीफ (तालिब)। नालंदा जिला मुख्यालय बिहार शरीफ अवस्थित सदर अस्पताल में कार्यरत महिला जीएनएम में कतिपय तीन पत्रकार पर आरोप लगाते हुए वरीय पदाधिकारी से एक लिखित शिकायत की थी।

      Why is the Nalanda administration running away from the investigation of serious allegations of Sadar Hospital nurses on journalists 1उस लिखित शिकायत पर सदर अस्पताल उपाधीक्षक द्वारा कार्यालय पत्रांक- 616, दिनांक 22/5/21 द्वारा एक जांच टीम गठित किया था। जिसमें डॉक्टर सावंत कुमार सुमन, डॉ रामकुमार प्रसाद, मेट्रन रेनू कुमारी के द्वारा जाँच कर सिविज सर्जन कार्यालय में रिपोर्ट जमा करने के निर्देश दिए गए थे।

      लेकिन निर्धारित समय 5 दिन से काफी अधिक समय बीत जाने के बाद भी जाँच टीम द्वारा जांच टीम कोई रिपोर्ट सिविल सर्जन को उपलब्ध नही करा पाई तो उससे निराश होकर महिला जीएनएम ने नालन्दा जिलाधिकारी से उचित जाँच की माँग की।

      बिहार शरीफ सदर अस्पताल में संचालित ईकाई इटैट वार्ड में कार्यरत चार महिला परिचारिका श्रेणी ए की प्रीति कुमारी, प्रेमलता कुमारी, अनामिका सिन्हा, चन्द्रप्रभा कुमारी द्वारा संयुक्त रुप से जिलाधिकारी नालन्दा को दिए शिकायत पत्र लिखा है कि अभिषेक कुमार ऊर्फ गुड्डु (न्युज 18 ),  रविकांत कुमार (अजय भारत) एंव रजनिश किरण (सन्मार्ग लाईव 7)  के द्वारा आए दिन-रात अस्पताल परिसर आकर परिचारिका के साथ दुव्यर्वहार करते है और इसका विरोध करने पर यह धमकी दी जाती है कि अगर विरोध करोगी तो तुम्हें निलंबित करा दिया जायेगा। पत्रकार की ताकत तुम लोगों को नहीं पता है

      कहते हैं कि सदर अस्पताल के उपाधीक्षक के द्वारा गठित जाँच टीम में शामिल एक डाक्टर सवान कुमार सुमन के अनुपस्थिति रहने के कारण 25/5/2021 को जाँच स्थागित करते हुये 28/5/2021 को जाँच टीम बैठी।

      लेकिन उससे पहले ही एक अखबार में स्थानीय स्तर से डाक्टर सावन कुमार सुमन द्वारा एक ब्यान प्रकाशित किया गया। जिसमें उन्होंने महिला परिचारिका पर दबाब बनाने का अरोप लगाया।

      जबकि डाक्टर सावन कुमार सुमन को यह जानकारी नही है कि जो जाँच टीम के सदस्य होते है, अगर उनपर किसी तरहा का दबाब बनाया जाता है तो इसकी लिखित शिकायत उच्च अधिकारी से किया जाना चहिये था।

      लेकिन इस डाक्टर ने उच्च अधिकारी को जानकारी के बजाय उस अखबार में महिला परिचारिकाओं द्वारा दबाव डालने की खबर छपवाई गई, जिसके रिपोर्टर के साथ अरोपी पत्रकारों बैठना उठना है।

      यही नहीं जाँच टीम के सामने महिला परिचारिका ने अपने और डाक्टर सावन की बातचीत की रिकार्डिंग पेश किया, जिसे जाँच टीम ने सुनने से इंकार कर दिया।

      इससे महिला परिचारिकाओं में यह भय समा गया कि कही न कही जाँच टीम अरोपी पत्राकार के मेलजोल मे आ गये है।

      मेट्रन रेणु कुमारी ने यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया कि पत्रकार से कौन लगेगा। इसके बाद जाँच टीम द्वारा महिला परिचारिका से सबूत मांगा गया तो महिला परिचारिकां ने कहा कि सदर अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज चेक किया जाए।

      इस पर डाक्टर सावन ने महिला परिचारिका को ये कहते हुये चुप करा दिया कि यह कोई सबुत नहीं है और जब साक्ष्य नहीं है तो शिकायत आवेदन क्यों देती हो। पत्रकार तुम लोगों के साथ ठीक करता है।

      इसके बाद महिला परिचारिका ने बतौर सबूत पत्रकार के साथ हुई बातचीत की रिकार्डिंग जाँच टीम को उपलब्ध कराया तो जाँच टीम ने पत्रकारो से उनके कम्पनी द्वारा जारी आईकार्ड की छायाप्रति 3 दिनों के भीतर उपलब्ध उपलब्ध कराने को कहा गया।

      लेकिन हफ्तों बीत जाने के बाद भी आवेदन मे अरोपी पत्रकारों द्वारा कम्पनी से प्राप्त आईकार्ड जमा नहीं किया गया तो थक हार कर महिला परिचारिकाओं ने स्वास्थ्य सचिव के पास सारे मामले की छायाप्रति के साथ आवेदन भेजते हुए जाँच कराने की माँग की है।

      महिला परिचारिका ने बताया कि एक महिला गार्ड है, जो सदर अस्पताल में डयूटी करती है। जब उसकी नाईट ड्युटी रहती है तो ईटेट वार्ड में आकर मरीजों को उठाकर बेड पर सो जाती है, जिसका विरोध उन लोगों ने किया तो उसने किसी को कॉल करके सारी बात बताई।

      उसके बाद अस्पताल के एकाउंटेट का कॉल आया है कि गार्ड को सोने दिया जाए। उपर से पैरवी आ रहा है। अब यह उपर वाला कौन था। यह उपर वाला ही जानें। 

      बतौर महिला परिचारिकाएं, उस दिन के बाद से पत्रकार अभिषेक कुमार गुड्डु, रविकांत कुमार और रजनिश किरण उन लोगो को कभी कॉल के द्वारा तो कभी बिना मतलब के हमारे वार्ड में आने-जाने के दौरान धमकना चालू कर दिया। परेशान करने लगे।

      जबकि वे सब कोरोना काल में अपने परिवार और बच्चों को छोड दिन रात मरीज की सेवा मे लगी रहती हैं। फिर भी कथित तोनों पत्रकार द्वारा उन लोगों को मानसिक प्रताड़ना दिया रहा है और लगातार शिकायत के बाबजूद कहीं से कोई जांच कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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