राजनामा.कॉम। ट्विटर की कमान संभालते ही एलन मस्क एक के बाद एक बड़े फैसले लेते जा रहे हैं। पहले ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल को बाहर का रास्ता दिखाया, फिर पूरा बोर्ड भंग कर कंपनी की कमान अपने हाथों में ली, उसके बाद ब्लू टिक वाले अकाउंट होल्डर्स से चार्ज वसूलने का ऐलान किया और अब बड़े पैमाने पर छंटनी का सिलसिला शुरू कर दिया। इसी कवायद के तहत ट्विटर ने भारत में कई विभागों की पूरी टीम को ही निकाल दिया है।
एलन मस्क ने छंटनी को बताया ‘दुर्भाग्यपूर्ण’: एलन मस्क ने 7500 कर्मचारियों वाले ट्विटर से 3700 कर्मचारियों यानी करीब 50 फीसदी छंटनी को लेकर पहली बार बयान दिया है।
एलन मस्क ने छंटनी के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसके पीछे का कारण भी बताया है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि कंपनी को हर दिन चार मिलियन डॉलर (32,77,95,800 भारतीय रुपए) से अधिक का नुकसान हो रहा है।
एलन मस्क ने कहा कि ऐसे में उनके पास कार्यबल में कटौती के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था।
उन्होंने यह भी कहा है कि जिन लोगों की छुट्टी हुई है, उन सभी लोगों को तीन महीने की एक्स्ट्रा सैलरी दी गई है, जो कानूनी रूप से आवश्यक से 50% अधिक है।
बता दें कि कानूनी रूप से किसी कर्मचारी को नौकरी से निकाले जाने की स्थिति में दो महीने का वेतन देना होता है।
एक्टिविस्ट पर फोड़ा नुकसान का ठीकरा: इस बीच मस्क ने ट्विटर की आय में आई गिरावट और कंपनी को हो रहे भारी नुकसान का ठीकरा एक्टिविस्ट पर फोड़ दिया है। मस्क ने कंपनी की आय में कमी के लिए ‘एक्टिविस्ट’ को जिम्मेदार ठहराया है।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘एक्टिविस्ट समूह ने विज्ञापनदाताओं पर भारी दबाव बनाया, जिससे ट्विटर की आय में भारी कमी हुई। यहां तक कि कंटेंट की निगरानी से भी कुछ नहीं बदला। हमने एक्टिविस्ट को खुश करने के लिए सबकुछ किया। वे अमेरिका में अभिव्यकित की आजादी को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं।’
भारत में किन-किन विभागों में की गई छंटनी: बता दें कि छंटनी से पहले भारत में कंपनी के 200 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे थे। ट्विटर ने वैश्विक स्तर पर कार्यबल में कमी करने की योजना के तहत भारत में अपने ज्यादातर कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में मार्केटिंग, कम्युनिकेशन और कंटेंट क्यूरेशन जैसे विभागों की पूरी टीम को बर्खास्त कर दिया गया है। वहीं इंजीनियरिंग व सेल्स से भी छंटनी की गई है।
हालांकि, अभी छंटनी का पूरा ब्यौरा नहीं मिला है और यह भी स्पष्ट नहीं है कि भारत में नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों को क्षतिपूर्ति के तौर पर कितना भुगतान किया गया है।
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