” यहां इस पूरे नियोजन में शिक्षा माफिया का एक रैकेट काम कर रहा है। शिक्षक नियोजन में एक अभ्यर्थी से चार लाख में सौदा तय होता है। दो लाख में संबंधित पंचायत के मुखिया और ग्रामसेवक , पचास हजार प्राधिकार, एजेंट एक लाख, लेखापाल आदि का हिस्सा होता है। लेखापाल द्वारा बीईओ को पांच हजार से दस हजार रूपये दिया जाता है।” बिहारशरीफ /चंडी (प्रमुख संवाददाता)। कभी जिस नालंदा के ज्ञान पर गर्व करता था बिहार आज उसी नालंदा की धरती पर ‘पैसे दो और गुरू बनों ‘ का गोरखधंधा चल रहा है। नालंदा के चंडी प्रखंड में गुरू बनाओ […]
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