नालंदा जिला के नगरनौसा प्रखंड में बिहार प्रशासनिक सेवा के प्रखंड विकास अधिकारी पदास्थापित है लेकिन, इन्होंने क्षेत्र में जो अपनी अकर्मण्य छवि बना रखी है, वे मुखिया और सरपंच जैसों के दलाल नजर आती है।
राजनीति सरपरस्त इस अरविन्द कुमार नामक बीडीओ को लेकर स्थानीय मीडिया का आलम यह है कि वे जब भी इनके काले कारनामों की खबर अपने नामचीन अखबारों में प्रेषित करते हैं तो जिला मुख्यालय में बैठे तथाकथित ब्यूरो प्रमुख सब कुछ सीधे मैनेज कर लेता है।
बहरहाल, नगरनौसा प्रखंड मुख्यालय में पदास्थापित प्रखंड विकास पदाधिकारी अरविन्द कुमार जन सूचना अधिकारी सह प्रथम अपीलीय पदाधिकारी भी हैं। सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत पिछले वर्ष सितंबर,2015 में उनसे प्रखंड के रामपुर पंचायत में पिछले पांच वर्ष के दौरान हुए विकास कार्यों की जानकारी मांगी गई।
इस पर उन्होंने अपने कार्यालय पत्रांकः2003, दिनांक- 16.09.2015 के तहत रामपुर पंचायत के पंचायत सेवक को यह आदेश दिया कि आवेदक को सात दिनों के भीतर सारी सूचनाएं उपलब्ध कराई जाये। उस आदेश की एक प्रति आवेदक को भी निबंधित डाक द्वारा भेजी गई थी।
रामपुर पंचायत में क्रियान्वित योजनाओं में पिछले पांच वर्षों के दौरान व्यापक पैमाने पर अनियमियता बरती गई है और लूट का खुला खेल हुआ है। जाहिर है कि अगर अधिकृत तौर पर सूचनाएं बाहर आती तो नीचे से उपर तक कई लोग नंगे हो जाते। सरपंच, मुखिया, पंचायत सेवक से लेकर खुद बीडीओ की क्रिया-क्रम हो जाती।
इसलिए विकास के सब लुटेरे एकजुट होकर सूचना न देने की ठान ली और न दी। इसकी शिकायत जब सूचना जन अधिकारी संप्रति प्रथम अपीलीय पदाधिकारी (बीडीओ) से की गई तो उन्होंने एक नई जुगत भिड़ा ली। आवेदक को अपने कार्यालय पत्रांकः268, दिनांकः 12.02.17 यानि 6 माह बाद मामले की सुनवाई की यह नोटिश भेज डाली कि पंचायत चुनाव बाद दिनांकः24.04.2016 को उपस्थित होकर अपना पक्ष रखें।
अब सबाल उठता है कि जब जन सूचना अधिकारी की हैसियत से बीडिओ ने पंचायत सेवक को सात दिनों के भीतर सारी सूचनाएं उपलब्ध कराने के आदेश दिया था तो फिर आवेदक द्वारा सूचना न मिलने की शिकायत पर आदेश उलंघन का सीधे कार्रवाई क्यों नहीं की। प्रथम अपीलीय पदाधिकारी की हैसियत से बीडीओ ने 6 माह बाद भी आगे दो माह बाद की सुनवाई की तिथि मुकर्रर क्यों की।
जाहिर है कि बीडीओ अरविंद कुमार को विकास के लुटेरों ने यह जता दिया कि रामपुर पंचायत में क्रियान्वित योजनाओं के लूट के खेल में वे भी शामिल हैं। अगर मामला उजागर हो गया तो उनका भी बेड़ा गर्क होना लाजमि है।