राजनामा.कॉम। सैफ खेलों के उद्घाटन के दौरान आम जन को पहले तो निमंत्रण देकर बुलाया गया फिर सुरक्षा का हवाला देकर पूरी बेइज्जती की गयी। मुख्य द्वार के पास लोगों को पानी के बोतल लेकर फेंक दिए गये, कैमरा ले जाने की अनुमति नहीं दी गयी और हेलमेट तक बाहर रखवाया गया। जिसके कारण अनेक लोगों के हेलमेट चोरी चले गये। ऐसा क्यों किया जा गया, इसका जवाब कोई नहीं दे सका।
कहा जाता रहा कि ऊपर से आदेश है। अब ऊपर से आदेश देने वाले क्या कुछ सोचते समझते नहीं।
अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन देकर लोगों को बुलाया गया, फ्री इंट्री और बस सेवा को बार-बार प्रचारित किया जाता रहा। समाचार पत्रों में खूब खबरें छपाया गया। लेकिन कभी भी यह नहीं कहा गया कि आयोजन स्थल पर पानी की बोतल ले जाना मना है।
वैसे खेल स्थल पर जहां स्कूली बच्चों को किनारे कर दिया जाए तो लोगों को अंगुलियों पर गिना जा सकता है। तीन-चार स्टैंड को छोड़ दिया जाए तो पूरा स्टेडियम खाली था। ये स्टैंड बच्चों के कारण भरे दिखे। ये बच्चे भी अपने प्रबंधन के डर के कारण न चाहने के बावजूद स्टेडियम पहुंचे। प्रबंधन को डर था कि सरकारी आदेश के बाद भी नहीं गए तो विभागीय कार्रवाई हो सकती है।
ऐसे आयोजन जहां 25 हजार की क्षमता वाले स्टेडियम में मुश्किल से दो तीन सौ लोग भी कभी नहीं पहुंचते, वहां पता नहीं किसे दिखाने के लिए सुरक्षा के नाम पर लोगों को परेशान किया गया। पानी का डर, पानी की पलास्टिक की बोतलों को डर।
वैसी स्थिति में जब स्टेडियम में कहीं पीने का पानी नहीं था। बाथरुम गंदे और मूत्र से भरे हुए थे। चार घंटे से बच्चे और उनके अभिभावक बिना पानी के बैठे नेताओं का बकवास सुनते रहे।
नेताओं को और तुगलकी फरमान जारी करने वाले खेल विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि पहले तो वे राज्य में खेल का माहौल बनाए। फिर चाहे जो करें। सरकार उनकी है, ईच्छा उनकी ही चलेगी।