“मीडिया सीएम नीतीश कुमार के गांव कल्याण विगहा में अत्याधुनिक स्कूल, अस्पताल, आईटीआई और शूटिंग रेंज के विकास को दिखाती है। गांव को चारों ओर से जोड़ने वाली सड़क दिखाते है, बाईपास दिखाते है। यही से लौट भी जाते है। लेकिन गांव के अंदर क्या समस्याएं है। ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं, इन सब मुद्दों पर चर्चा नहीं करती है…
राजनामा.कॉम। बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले चरण को लेकर चुनाव प्रचार जोरों पर है। पहले चरण के मतदान में अब चंद दिन रह गये है। पहले चरण का मतदान 28 अक्तूबर को होना है।
वैसे अक्तूबर महीने में धूप थोड़ी मुलायम हो जाती है। ठंडी-ठंडी हवा के झोके वातावरण को खुशनुमा जरूर बना रहे है। लेकिन चुनाव के महौल में मौसम का मिजाज गरम बना हुआ है।
बिहार की सता में पिछले 15 साल से काबिज नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं है। नीतीश कुमार पिछले 15 साल के काम पर जनता से वोट मांग रहे हैं।
वहीं देश की मीडिया दूरबीन लगा कर विकास की तलाश में घूम रही है। दिल्ली से बड़े-बड़े पत्रकार, एकंर और संपादक खुद मोर्चा संभाले बिहार के विभिन्न जिलों, प्रखंडों एवं गांव की पगडंडियों पर विकास और विनाश की लीला को अपने कैमरे में कैद करने के लिए कैमरे की आंख लेकर घूम रहे है।
इन दिनों सारा मीडिया बिहार के एक गांव की ओर भाग रहा है। गांव खासी शोहरत बटोर रहा है। गांव की लोकप्रियता बढ़ने की वजह भी बड़ी माकूल है,सीएम नीतीश कुमार का यह गांव कल्याण बिगहा है।
बिहार में चुनाव हो और देश की राजधानी दिल्ली से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर विभिन्न न्यूज चैनलों के पत्रकार, एंकर और संपादक सीएम नीतीश कुमार के पैतृक गांव न पहुंचे यह हो नहीं सकता।
आजकल सीएम नीतीश कुमार का पैतृक गांव कल्याण विगहा न्यूज चैनलों का ‘पीपली लाइव’ बना हुआ है। आएं दिन दिल्ली और नोएडा से पत्रकारों का दल कल्याण विगहा कुछ तूफानी करने के इरादे से पहुंच रही है।
सीएम नीतीश कुमार का यह गांव देशी-विदेशी मीडिया के लिए पिछले 15 साल से कौतूहल बना हुआ है। यहाँ मीडिया का आना चुनाव परिणाम तक जारी रहेगा।
गांव की पहचान तो हो ही रही है। गांव वालों को भी कैमरे के सामने आने का सौभाग्य मिल रहा है। सीएम नीतीश कुमार के विकास की खूब प्रशंसा की जारी है।
देश भर की मीडिया का यहां जमावड़ा लगा हुआ है। आए दिन दो-चार की संख्या में न्यूज चैनल वाले गांव पहुंच रहे है। ग्रामीणों का भी मनोरंजन हो जाता है। उन न्यूज चैनलों पर ग्रामीण अपने गांव की विकास गाथा खोजते है। अपने चेहरे देखने के लिये लालायित नजर आते है।
दिल्ली की मीडिया जब कल्याण विगहा आती है तो वह सीएम नीतीश कुमार के पैतृक गांव और उनके माता-पिता और पत्नी की स्मारक स्थल पर जरूर जाती है। गांव के सीताराम भी कुछ सालों से मीडिया में छाये रहते हैं।
मीडिया के लोग सीएम नीतीश कुमार के बचपन की बातें, छात्र जीवन और राजनीति के बारे मे सीताराम से ही जानकारी हासिल करते है। गांव के सीताराम वही शख्स है, जिन्होंने सीएम नीतीश कुमार को बचपन में अपने गोद में खिलाया था।
सालों से उनके घर की देखभाल करते रहे। लेकिन जब से सीएम का वह पैतृक घर नया बना है, तब से वे अपने पास के घर चलें गये। हालांकि अब सीताराम का घर भी नया बन रहा है।
मीडिया सीएम नीतीश कुमार के गांव कल्याण विगहा में अत्याधुनिक स्कूल, अस्पताल, आईटीआई और शूटिंग रेंज के विकास को दिखाती है। गांव को चारों ओर से जोड़ने वाली सड़क दिखाते है, बाईपास दिखाते है।
यही से लौट भी जाते है। लेकिन गांव के अंदर क्या समस्या है। ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं, इन सब मुद्दों पर चर्चा नहीं करती है।
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क के ब्यूरो चीफ रिपोर्टर जब कल्याण विगहा के गलियों की खाक छान रहे थे, ग्रामीणों में खासकर दलितों और अत्यंत पिछड़ा वर्ग में सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ काफी नाराजगी देखी।
पहले तो ग्रामीण उनके खिलाफ बोलने से डरते रहें। लेकिन जब मुंह खोला तो अपनी भड़ास निकाल दी। ग्रामीणों की शिकायत रहती है कि सीएम साल में पांच से छह बार गांव आते हैं, लेकिन वह गांव वालों से नहीं मिलते है।
गांव वालो को भी मिलने नहीं दिया जाता है। सुरक्षा घेरा ऐसा होता है कि वे चाहकर भी नहीं मिल सकते है। ग्रामीणों में नाराजगी तो है लेकिन यह नाराजगी क्षणिक समझी जाती है।
मीडिया का पीपली लाइव बने कल्याण विगहा में आने वाले संवाददाता और एंकर जनता के मर्म को समझने नहीं आ रही है। गांव के बाहर की जो जगमगाहट-रौनक दिखती है, वह सूरतेहाल अंदर गांव में बदल जाती है।
फिलहाल, चुनाव परिणाम तक सीएम नीतीश कुमार के इस गांव में मीडिया के पीपली लाइव के रुप में नजर आता रहेगा।
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