एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क । कोरोना संक्रमितों की सटीक जानकारी नहीं दिए जाने को लेकर सरायकेला-खरसावां जिला प्रशासन की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। कोविड-19 से जुड़े जिले के अधिकारियों और नोडल अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैया के कारण आदित्यपुर की हजारों जनमानस भय के साए में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उसे स्थानीय अखबार अधूरी और तथ्यहीन खबरें छाप कर मामले को और हवा देने में लगे हैं, जबकि सभी खबरें तथ्यहीन और भ्रामक हैं।
आइये पहले हम आपका ध्यान अखबारों में छपे रिपोर्ट पर आकर्षित कराते हैं.. सबसे पहले 13 जून को दैनिक हिंदुस्तान अखबार में छपी रिपोर्ट देखिए इस अखबार ने लिखा है…
आदित्यपुर में मिला कोरोना का संदिग्ध टीएमएच में भर्तीः
आगे अखबार लिखता है कि संदिग्ध व्यक्ति सहारा का एजेंट है, और सहारा के एक कार्यक्रम में शामिल होकर लौटने के बाद उसमें कोरोना के लक्षण दिखाई दिए थे।
हालांकि अखबार यह भी लिखता है कि इस संबंध में जिला प्रशासन की ओर से किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं की गई है। ऐसे में अखबार के रिपोर्टर और डेस्क पर बैठे एडिटर क्या बगैर आधिकारिक पुष्टि के आप किसी संस्था या व्यक्ति की छवि वैश्विक महामारी के दौर में धूमिल कर सकते हैं?
क्या सहारा के किसी अधिकारी से इस बात की पुष्टि की क्या थी, कि क्या वाकई में संदिग्ध मरीज सहारा के किसी बैठक में हिस्सा लेने गया था, या सहारा में ऐसी कोई बैठक महामारी काल में हुई है ?
दूसरा सवाल, जिला उपायुक्त, क्या उन्होंने इस तरह की भ्रामक खबरें आने के बाद मामले पर संज्ञान लिया? जबकि आदित्यपुर इलाके में दिनभर अफवाहों का बाजार गर्म रहा लोग भयभीत रहे। हद तो ये है कि हिंदुस्तान के रिपोर्टर ने अपने 14 जून के अंक में छपी खबर को फेसबुक पर पोस्ट कर वायरल भी करना शुरू कर दिया।
चलिए अब जिले के दो अन्य बड़े अखबारों में इस भ्रामक खबरों की रिपोर्ट से रु- ब-रु कराते हैं सबसे पहले दैनिक जागरण की रिपोर्ट देखिये…
आदित्यपुर में पहली बार मिला करोना पॉजिटिव, मरीज की ट्रैवल हिस्ट्री नहीं होने से प्रशासन बेचैनः
इस अखबार ने हिंदुस्तान अखबार में 13 जून को छपी खबर का खंडन कर दिया। अखबार लिखता है कि मरीज का ट्रेवल हिस्ट्री नहीं होने के कारण प्रशासन बेचैन। जबकि हिंदुस्तान अखबार ने मरीज के सहारा के बैठक में हिस्सा लेकर लौटने के बाद लक्षण मिलने का जिक्र किया था।
उधर जिले के उपायुक्त द्वारा 13 जून को तीन मरीजों में कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि संबंधी जानकारी उपलब्ध कराई गई, जिसमें दो मरीज कुचाई का बताया गया, जबकि एक मरीज नीमडीह का बताया गया। तीनों ही प्रवासी मजदूर बताए गए, जिनके तमिलनाडु से आने की बात कही गई है।
फिर आदित्यपुर के संदिग्ध की पुष्टि किसने की? हालांकि अखबार लिखता है कि स्थानीय प्रशासन ने इसकी पुष्टि की लेकिन स्थानीय प्रशासन का इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि होने संबंधी प्रमाण कहीं नहीं प्रकाशित किया गया है।
अखबार ने सिविल सर्जन हिमांशु भोजन के हवाले से यहां तक लिख डाला कि संदिग्ध के घर व आसपास के इलाके को कंटेनमेंट जोन में तब्दील कर दिया गया है। साथ ही क्षेत्र का सर्वे किए जाने की बात कही गई है, और लिखा गया है कि संदिग्ध के संपर्क में आने वाले लोगों का नमूना लेकर जांच किया जाएगा।
हालांकि अखबार ने संदिग्ध के गोपनीयता का पूरा ख्याल रखा है, लेकिन कंटेनमेंट जोन संबंधित खबर पूरी तरह से भ्रामक और तथ्यहीन है। जिला प्रशासन की ओर से ऐसी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। कंटेनमेंट जोन की बात पढ़ कर स्थानीय लोग खासकर संदिग्ध के घर के आसपास के लोगों में भय का माहौल है।
चलिए अब आपको आज के प्रभात खबर में छपी खबर से रूबरू करा देते हैं। वैसे यह अखबार बाकी दो अखबारों से आगे बढ़कर लिखता है कि संदिग्ध मरीज शुक्रवार के दिन नगर निगम कार्यालय आया था, जिसके बाद निगम कार्यालय को बंद कर किया गया सैनिटाइज जरा सोचिए जो मरीज पिछले 10 दिनों से किडनी की बीमारी से परेशान है और बुधवार से ही टाटा मुख्य अस्पताल में भर्ती है, वह मरीज शुक्रवार को नगर निगम कार्यालय कहां से पहुंच गया ?
हालांकि अखबार ने इस बात का जिक्र किया है, लेकिन शुक्रवार को अखबार ने संदिग्ध को नगर निगम कार्यालय भेजकर अपनी विश्वसनीयता तो भंग की ही, लोगों को भी हैरान कर दिया।
वैश्विक संकट के इस दौर में वैसे ही अखबारों की बिक्री कम हुई है। लोगों में टीवी चैनलों और सोशल मीडिया के प्रति रुझान बढ़ा है। वेबसाइट की खबरों पर लोग ज्यादा रुचि ले रहे हैं।
ऐसे में तथ्य हीन और भ्रामक खबरें छाप कर अखबार अपने पाठकों को रुष्ट करने का काम अगर करेंगे तो आनेवाले दिनों में अखबारों से लगाव पाठकों में कम होगा।
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़ नेटवर्क की अपील….
कोरोना वायरस कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक अज्ञात शत्रु है। जिसे ना हम देख पाते हैं ना आप। चिकित्सा जगत अब तक इसका सटीक इलाज ढूंढ पाने में नाकाम रहा है। हम मीडियाकर्मी अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए संक्रमित व्यक्तियों की गोपनीयता को सार्वजनिक करने से बचें।
संक्रमित मरीजों से भेदभाव नहीं, बल्कि उनसे सहानुभूति रखें। इसके वायरस को कोई जानबूझकर वहन नहीं करता है, बल्कि भूलवश उसमें इसका वायरस प्रवेश कर जाता है। हम मीडियाकर्मी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं, वैश्विक संकट के इस दौर में हम अपनी भूमिका का निष्ठा और ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करें और भय व भ्रांति से लोगों को दूर रखें।
जिला प्रशासन द्वारा बगैर पुष्टि किए तथ्यहीन खबरें परोस कर जनमानस को भयाक्रांत करने से बचें। जिला प्रशासन से भी हमारी अपील रहेगी ऐसे भ्रामक खबर को समाज में आने से रोकने के लिए सटीक जानकारियां मीडिया कर्मियों को समय पर उपलब्ध कराएं। ताकि वैश्विक संकट के इस दौर में आपसी सामंजस्य बनी रहे।