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    Saturday, May 4, 2024
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      Homeजर्नलिज्म

      बॉम्बे HC ने डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स को दी अंतरिम राहत, IT नियम के 2 प्रावधान पर रोक

      "केरल और मद्रास उच्च न्यायालयों के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट देश में ऐसी तीसरी अदालत है, जिसने याचिकाकर्ताओं को आईटी नियम 2021 को लागू करने और सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा कार्रवाई से अंतरिम राहत दी है...राजनामा.कॉम। बॉम्बे हाई कोर्ट ने नए आईटी नियमों (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) 2021...

      हर साल क्यों मनाया जाता है हिंदी पत्रकारिता दिवस?

      राज़नामा.कॉम डेस्क। हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में 30 मई का खास महत्व है। यही कारण है कि 30 मई को हर साल हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है।दरअसल, इसी दिन वर्ष 1826 को पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने पहले हिंदी अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन किया था। उस...

      विश्व कार्टून दिवस: अखबारों से गायब होते कार्टून

      "आज पत्रकारों और नेताओं की गठजोड़ ने मीडिया को कुंद कर रखा है,जिसका नतीजा यह है कि अखबारों से कार्टून सिमटती जा रही है। जबकि कार्टून किसी अखबार की आत्मा के समान है। समाज को जगाये रखने के लिए कार्टून हमेशा प्रासंगिक रहा है...INR.(जयप्रकाश नवीन)। आज विश्व कार्टून दिवस है।कार्टून...

      सीएम के पैत्रिक गाँव में दूरबीन से विकास ढूंढती मीडिया

      “मीडिया सीएम नीतीश कुमार के गांव कल्याण विगहा में अत्याधुनिक स्कूल, अस्पताल, आईटीआई और शूटिंग रेंज के विकास को दिखाती है। गांव को चारों ओर से जोड़ने वाली सड़क दिखाते है, बाईपास दिखाते है। यही से लौट भी जाते है। लेकिन गांव के अंदर क्या समस्याएं है। ग्रामीणों को सरकारी...

      सीएम का गांव पहुंची बीबीसी टीम ने की फेसबुक लाइव रिपोर्टिंग

      राजनामा.कॉम। आज बिहार के सीएम नीतीश कुमार के नालंदा जिला स्थित पैत्रिक गांव कल्याण बिगहा में चुनावी नब्ज टटोलने वरिष्ठ पत्रकार सीटू तिवारी-बीबीसी टीम पहुंची। वेशक आज की उभरती मीडिया के आकाश में महिला पत्रकारों की सक्रियता का अपना मजबूत स्थान है। जहां बीबीसी हिन्दी के पत्रकार सीटू तिवारी की लेखनी...

      पत्रकारिता का त्रासदी कालः दिखाकर खबरें छापने का दौर

      राजनामा.कॉम।  देश बदल रहा है। देश के जनता की सोच बदल रही है। देश के पिछले छः सालों के उपलब्धियों पर विश्लेषण के कोई मायने नहीं रह गए हैं, क्योंकि उसे समझने की किसी को जरूरत नहीं रह गयी।हर कोई 2014 के चुनावी जुमले के साकार होने की उम्मीद लगाए...

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