Wednesday, September 27, 2023
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    न्यूज चैनल्स को एडिटर्स गिल्ड की नसीहत, TRP के लिए न करें ऐसा काम

    राजनामा डॉट कॉम। भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा की एक टीवी चर्चा में हुई बहस के दौरान की गई टिप्पणी ने देश के सामने असहज स्थितियां पैदा कर दी हैं। जिसके बाद कानपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले, पैगंबर मोहम्मद विवाद और न्यूज चैनल्स पर उसके कवरेज को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने चिंता जाहिर की है और इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

    एडिटर्स गिल्ड की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया कुछ राष्ट्रीय न्यूज चैनल्स के गैर-जिम्मेदाराना आचरण से परेशान है, जो जानबूझकर ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं, जिससे कमजोर समुदायों के प्रति नफरत फैलाकर निशाना बनाया जा रहा है।

    एडिटर्स गिल्‍ड ने महज व्‍युअरशिप बढ़ाने और लाभ कमाने के लिए इन चैनल्स से ऐसे व्‍यवहार को रोकने और आत्‍मनिरीक्षण करने की सलाह दी है।

    गिल्ड ने कहा है कि पत्रकारों के संगठनों को इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए मीडिया की जिम्मेदारी तय करने की कोशिश करनी चाहिए।

    बयान में कहा गया है कि यदि देश के कुछ टीवी चैनल धर्मनिरपेक्षता के प्रति देश की संवैधानिक प्रतिबद्धता के साथ-साथ पत्रकारिता की नैतिकता और दिशा-निर्देशों के प्रति जागरूक होते तो देश को अनावश्यक शर्मिंदगी से बचाया जा सकता था।

    दरअसल, भारत की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी अपनी प्रवक्ता रहीं नूपुर शर्मा के पैगम्बर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी देने को लेकर कूटनीतिक मुश्किलों का सामना कर रही है।

    नूपुर शर्मा ने ये टिप्पणी करीब दस दिन पहले एक टीवी चैनल में हुई डिबेट में की थी। उनकी इस टिप्पणी को लेकर भारतीय मुसलमानों और 15 से देशों में आपत्ति जताई है।

    एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में कुछ न्यूज चैनल्स की तुलना ‘रेडियो रवांडा’ से की है। बयान में कहा गया है, ‘कुछ न्यूज चैनल्स व्युअरशिप बढ़ाने और प्रॉफिट कमाने के लिए रेडियो रवांडा के मूल्यों से प्रेरित थे, जिसकी वजह से अफ्रीकी देशों में नरसंहार हुए थे।’

    हाल ही में हुए सांप्रदायिक हिंसा मामलों को लेकर एडिटर्स गिल्ड ने टीवी चैनल्स से आत्मचिंतन और समीक्षा करने की अपील की है।

    इसके साथ ही गिल्ड ने इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए मीडिया संस्थानों से कड़ी नजर रखने की भी मांग की है।

    बयान में कहा गया है कि, ‘मीडिया की जिम्मेदारी संविधान और कानून को बनाये रखने की है, न की गैरजिम्मेदारी और जवाबदेही के अभाव में उसे तोड़ने की है।’

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