राज़नामा डेस्क। एक चैनल जिसने अपने कर्मचारियों को आत्महत्या करने की करार पर खड़ा कर दिया है। जी हां बिहार झारखंड के चैनल कशिश न्यूज़ प्रबंधन ने 8 महीने की बकाया सैलरी मांगने वाले 22 कर्मचारियों को बिना पैसे दिए बाहर निकाल दिया है…
खबर है कि कोरोना काल में 8 महीने की सैलरी रखकर प्रबंधन ने बिना कोई कागज दिए कर्मचारियों को काम से हटा दिया है।
निकाले गए कर्मचारियों को कहा गया है कि अभी कंपनी की हालत खराब है, इसलिए सैलरी नहीं मिलेगी। आप लोगों को जो करना है कर सकते हैं।
इस दौरान कई कर्मचारियों ने चैनल के सीएमडी और बेनीपुर विधायक सुनील चौधरी को व्हाट्सएप में पत्र भेजकर मार्मिक गुहार लगाई और सैलरी में से कुछ पैसे फिलहाल देने की अपील की, ताकि आत्महत्या की नौबत ना आए।
फिर भी सुनील चौधरी का दिल नहीं पसीजा। आश्वासन देना तो दूर उन्होंने किसी कर्मचारी के मैसेज का जवाब नहीं दिया और न ही कंपनी के अधिकारियों से कि कोई जवाब दिलाया।
इसी दौरान चैनल के संपादक संतोष सिंह ने पटना और रांची ऑफिस के कर्मचारियों के अकाउंट में 10000 से 15000 रुपए डलवा दिया। सिर्फ रांची ऑफिस के चार लोगों को पैसे नहीं दिए गए।
यह वे लोग थे, जिन्होंने सैलरी के लिए आवाज उठाई थी। संपादक के इशारे पर इन चार लोगों की सैलरी रोक कर इन्हें भूखे मारने की साजिश रची गई।
जिन कर्मचारियों ने 8 महीने तक कर्ज लेकर और बैंक में रखे पैसों को यह सोच कर खर्च किया कि कंपनी एक दिन उन्हें पैसे दे देगी।
लेकिन पूरी तरह कंगाल बनाने के बाद पैसे देना तो दूर कंपनी ने उन्हें काम से ही हटा दिया। वह भी बिना किसी कागजी करवाई के।
जब इन चार कर्मचारियों ने प्रबंधन से पैसे मांगे तो उन्हें कहा गया कि आपकी सेवा समाप्त हो चुकी है और जब फंड आएगा तब सैलरी मिलेगी।
जिन लोगों ने 2 साल पहले चैनल छोड़ा है या जिन्हें हटाया गया है, आज तक उन्हें सैलरी नहीं मिली। मतलब साफ है फंड की बात कह कर प्रबंधन कर्मचारियों के हक के पैसों को डकारने की कोशिश कर रहा है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिस प्रबंधन ने चैनल के कर्मचारियों को पैसे की किल्लत की बात कह कर हटाया है, उसी प्रबंधन ने चैनल को चलाने के लिए नए कर्मचारियों की बहाली कर ली। वह भी एडवांस सैलरी देकर। मतलब साफ है कंपनी के पास पैसे हैं, लेकिन वह कर्मचारियों को भूखे मारना चाहती हैं।
बताया जाता है कि सुनील चौधरी बेनीपुर विधानसभा सीट से पुनः चुनाव लड़ने वाले हैं। कर्मचारियों का हक मारकर वह उनके पैसे चुनाव में खर्च करने वाले हैं। क्योंकि 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान यही हुआ था।
सरकार ने कोरोना काल में कंपनियों को किसी भी कर्मचारी को नहीं हटाने का निर्देश दिया है। इसे चुनौती देते हुए संपादक संतोष सिंह, रांची ब्यूरो हेड सुरेंद्र सोरेन और स्वयंभू सीएमडी मुकेश झा ने मिलकर कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया और प्रबंधन इनके साथ खड़ी रही।
संपादक संतोष सिंह झूठ बोलकर लोगों को चैनल में बहाल करते हैं। कई कर्मचारियों से उन्होंने हर महीने सैलरी देने का वादा करके कर उन्हें काम पर रखा, लेकिन उन्हें कभी समय पर पैसे नहीं मिले। विरोध करने पर क्वॉरेंटाइन होने की बात कह दी गई।
संतोष सिंह ने कशिश न्यूज़ को पूरी तरह बर्बाद दिया है। जब वे संपादक बने थे, तब चैनल नंबर वन पोजिशन पर था और आज चैनल कहीं नहीं है।
सुनील चौधरी ने उन्हें चैनल चलाने दिया था, लेकिन वह इस लायक थे ही नहीं। एक स्ट्रिंगर को चैनल देकर उन्होंने सैकड़ों कर्मचारियों का भविष्य दांव पर लगा दिया।
फिलहाल संतोष सिंह यूट्यूब और पोर्टल पर फोकस कर रहे हैं, क्योंकि चैनल चलाना उनके बस की बात नहीं है। शायद यह बात वो भी अच्छी तरह समझ चुके हैं।
अब संतोष सिंह चैनल चलाएं, पोर्टल या युट्यूब चलाएं। 22 कर्मचारियों को इससे मतलब नहीं है। उन्हें तो बस 8 महीने की सैलरी चाहिए।