आज झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमों शिबू सोरेन के पीए विवेक का रसुख क्या है। यदि आपको इसका आंकलन करना है तो शिबू सोरेन उर्फ गुरुजी के मोहराबादी स्थित आवास चले जाइये।
शुरुआती दौर में गुरुजी के बड़े पुत्र स्व. दुर्गा सोरेन का ड्राइवर… उसके बाद छोटे पुत्र हेमंत सोरेन (वर्तमान उप मुख्यमंत्री) का ड्राइवर…उसके बाद गुरुजी की शरण में…उसके बाद गुरुजी जी की कृपा से पा ली झारखंड विधान सभा में नौकरी…फिर गुरुजी का बन गया सरकारी पीए।
बस इतना सा ही सफर है विवेक का। यह कभी भी झामुमो पार्टी का छोटे या बड़े पद पर नहीं रहा। लेकिन आज इसका बोलबाला देखिये कि ये शख्स सरेआम सीएम और गवर्नर को गालियां देता है। डिप्टी सीएम को दलाल शब्द से विभूषित करता है। वरीय पार्टी कार्यकर्ताओं को भींगे कपड़ों की तरह निचोड़ डालता है।
देखिये सबसे बड़ा आश्चर्य। वह गाल ठोक कर करता है तब…जब सामने गुरुजी बैठे हों और सब कुछ करीब से सुन रहे हों। फिर भी कोई रोक ठोक नहीं। मानो गुरुजी इ सरकारी महारथी के सामने बिल्कुल लाचार और असहाय।
कहने वाले यहां तक कहते हैं कि कभी चाकरी करने वाले विवेक ने गुरुजी को मानसिक तौर पर गुलाम बना लिया है। पार्टी में भी वही होता है , जैसा विवेक चाहता है। विवेक की महात्वाकांक्षा चुनाव लड़ने की है।