अन्य
    अन्य

      शिवराज सरकार के माथे पर कलंक का टीका पत्रकार के साथ पुलिस का यह गंदा रवैया

      राजनामा.कॉम डेस्क। मध्य प्रदेश में एक आदिवासी के चेहरे पर सत्ताधारी दल के स्थानीय नेता के पेशाब करने की घटना पर बवाल शांत भी नही हुआ था कि छतरपुर जिले से एक पत्रकार के सिर पर पेशाब करने का शर्मनाक वाकया सामने आ गया। इस मामले का आरोपी सत्ताधारी दल का नेता नहीं, बल्कि एक पुलिस अफसर है।

      डिजिटल मीडिया के इस पत्रकार के साथ थाने में मारपीट की गई। हिरासत में ही इस क्रूर और अमानवीय वारदात को अंजाम दिया गया। पुलिस अधिकारी ने पत्रकार के ब्राह्मण होने पर अपमानजनक जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल भी किया।

      पत्रकार के साथ इस बरताव की ख़बर भी न मिलती, यदि उसकी बहन ने मामले का खुलासा न किया होता। अफसोस कि स्थानीय,  प्रादेशिक और राष्ट्रीय पत्रकार बिरादरी उस पत्रकार के समर्थन में सामने नहीं आई।

      दूसरी ओर पुलिस का कहना है कि पत्रकार पर लूट के अपराध का आरोप है। यह आरोप हास्यास्पद है। पत्रकारों के लिए शिवराज सरकार का अब यही आरोप बचा था। जो पत्रकार सरकार की खुशामद नही करते,  उन्हें हर तरीके से प्रताड़ित करना सरकारी नीति बन गई है।

      पर, एकबारगी मान भी लिया जाए कि पत्रकार ने लूट की या कोई गंभीर अपराध किया तो प्राथमिक जांच के बाद आरोप पंजीबद्ध करके मामला अदालत में ले जाना चाहिए था। सजा देने का अधिकार न्यायालय का है। मगर इस मामले में तो पुलिस ने वह सजा दे दी, जो अदालत भी कभी नहीं देती।

      यदि पत्रकार ने हत्या जैसा जघन्य अपराध भी किया होता तो, भी कोई अदालत हिरासत में रातभर पिटाई करने का आदेश नही देती और न ही वह किसी पुलिस अधिकारी को यह आदेश देती कि आरोपी के सिर पर पेशाब की जाए। पुलिस अफसर यहीं नहीं रुकता। वह पत्रकार को धमकी देता है कि अगर किसी को भी यह जानकारी दी गई तो उसकी जान नहीं बचेगी।

      छतरपुर की यह घटना शिवराज सरकार के माथे पर कलंक का टीका है। बीते बीस वर्षों में पत्रकारों को सताए जाने की अनगिनत वारदातें हुईं हैं। लेकिन, किसी भी मामले में इतनी सख्त कार्रवाई नहीं हुई कि वह पुलिस-प्रशासन के लिए नजीर बन जाती।

      इसी छतरपुर में तैंतालीस साल पहले पत्रकारों के उत्पीड़न का एक मामला राष्ट्रीय अखबारों में महीनों तक छाया रहा था। उन दिनों अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री थे। विधानसभा में लगभग सात घंटे बहस हुई थी। उस बहस का मोर्चा बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुंदर लाल पटवा तथा कैलाश जोशी ने संभाला था।

      अर्जुन सिंह को विधानसभा में न्यायिक जांच आयोग का गठन करने का ऐलान करना पड़ा। आयोग ने साल भर सुनवाई के बाद अपनी रिपोर्ट में सरकार और प्रशासन को लताड़ लगाईं थी।आयोग ने यह भी व्यवस्था दी थी कि पत्रकारों को अपना स्रोत बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इसके बाद अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्री रहते कलेक्टर और एसपी तथा मंत्री पत्रकारों से टकराव मोल लेने से घबराते थे।

      बताने की जरूरत नही कि वर्षों तक पत्रकारों के उत्पीड़न की घटना नही हुई। इसके अलावा प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी इसी मामले में सुओमोटो (अपनी ओर से) जांच दल भेजा। इस दल ने भी अपनी रपट में सरकार और प्रशासन को दोषी ठहराया था। प्रेस काउंसिल ने इसकी निंदा की थी।

      भारत की आजादी के बाद यह पहला (और संभवतया अंतिम भी) मामला है, जिसमें किसी ज्यूडिशियल इन्क्वायरी कमीशन ने पत्रकारों के उत्पीड़न के लिए सरकार और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया था। अफसोस! उन्हीं पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के घोषित शिष्य शिवराज सिंह चौहान की हुकूमत में पत्रकारों पर जुल्म ढाए जा रहे हैं। छतरपुर जिले में ही चर्चित खजुराहो फोटो कांड भी हुआ था। इसमें भी पत्रकारों के दमन की शिकायतें मिली थीं। जांच हुई तो पत्रकार निर्दोष पाए गए।

      इस जिले की पत्रकारिता का नाम राष्ट्रीय स्तर पर बड़े सम्मान के साथ लिया जाता रहा है। खेद है कि अब उसी जिले में पत्रकार के सिर पर पेशाब करके एक पुलिस अधिकारी ने समूचे पत्रकार जगत को करारा तमाचा मारा है। यदि इतने अपमान के बाद भी पत्रकार चुप रहे तो हर शहर से ऐसी खबरें मिलने लगेंगीं और तब हाथों से तोते उड़ चुके होंगे

      यूट्यूब वीडियो डाउनलोड करने से पहले जान लें मोबाइल-लैपटॉप हैक होने का खतरा

      राजनामा.कॉम। आज-कल बेहद लोकप्रिय वीडियो प्लेटफॉर्म यूट्यूब पर जानकारी...

      Russia-Google dispute: कितना उचित है युद्ध मशीन की फंडिंग के लिए पुतिन द्वारा गूगल से 100 मिलियन डॉलर जब्त करना

      राजनामा.कॉम। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा गूगल से...

      Influencer Culture: सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स का उदय और उनका समाज पर प्रभाव

      राजनामा.कॉम डेस्क। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर संस्कृति (Influencer Culture) का...

      न्यूज़ कवरेज में पूर्वाग्रह और उसकी पहचान कैसे की जाए

      राजनामा.कॉम डेस्क। न्यूज़ कवरेज में पूर्वाग्रह का अर्थ है...

      फेक न्यूज की पहचान कैसे करें और उसके प्रभाव को कैसे रोका जाए

      राजनामा.कॉम डेस्क। फेक न्यूज एक प्रकार की झूठी या...

      Social Media for the Youth : युवा वर्ग के लिए कितना खतरनाक और फायदामंद है सोशल मीडिया

      राजनामा.कॉम। सोशल मीडिया (Social Media) का उद्भव 21वीं सदी...

      News papers in India : भारत में समाचार पत्रों की घटती विश्वसनीयता की जानें मूल वजहें

      राजनामा.कॉम। भारत में समाचार पत्रों की घटती विश्वसनीयता एक...

      News Channels : टीआरपी के चक्कर में कितना घनचक्कर बना रही है न्यूज चैनलें

      राजनामा.कॉम। टीआरपी यानि टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स। आज के समय...

      Meaning of Godi Media in India : भारत में गोदी मीडिया के मायने, समझें हकीकत

      राजनामा.कॉम। गोदी मीडिया शब्द का उपयोग भारतीय मीडिया के...

      एक अच्छा यूट्यूबर कैसे बनें

      राजनामा.कॉम। आज के डिजिटल युग में, यूट्यूबर बनना एक...
      error: Content is protected !!