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बिहारः चारा घोटाले की तर्ज हुआ बड़ा चावल घोटाला, 9 साल बाद इन 7 अफसरों पर चलेगा मुकदमा

“चारा घोटाले में स्कूटर पर लाखों रुपये के चारे की ढुलाई की बात सामने आई थी। ठीक उसी तरह चावल घोटाले में कागजों पर चावल ढुलाई दर्ज कर दी गई…

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पटना (इंडिया न्यूज रिपोर्टर)। बिहार में साल 2012-13 में उजागर हुए धान घोटाला में राज्य सरकार ने अब जाकर कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

सरकार ने जारी आदेश में कहा गया है कि 2012-13 के धान खरीद घोटाले में बिहार प्रशासनिक सेवा के 7 अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

बताया गया है कि विधि विभाग की ओर से की गई जांच में इन 7 अफसरों की ओर से 25 से 30 करोड़ रुपये का चावल घोटाला किया गया है। जांच में दोषी पाए जाने के बाद ही इनपर मुकदमा करने का आदेश दिया गया है।

कानूनी प्रोसेस के तहत इनसे वसूली भी की जाएगी। फिलहाल ये सभी 7 अफसर अलग-अलग जिलों में तैनात हैं।

कौन हैं 7 घोटालेबाज अफसर…..

अरविंद कुमार मिश्रा: घोटले के वक्त कैमूर जिले में जिला खाद्य प्रबंधक रहे

भानु प्रताप सिंह: घोटाले के वक्त पूर्वी चंपारण में खाद्य प्रबंधक रहे।

अजय कुमार ठाकुर: घोटाले के वक्त पूर्णिया के राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक रहे।

कमलेश सिंह: घोटाले के वक्त पूर्वी चंपारण के वरीय समाहर्ता सह राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक रहे

संतोष कुमार झा: घोटाले के वक्त गया जिले के खाद्य प्रबंधक रहे

अखिलेश्वर प्रसाद वर्मा: घोटाले के वक्त पूर्वी चंपारण के खाद्य प्रबंधक रहे

अजय कुमार ठाकुर: घोटाले के वक्त पूर्णिया जिले के खाद्य प्रबंधक रहे

अफसरों और मिल मालिकों की मिलीभगत से हुआ घोटालाः जांच में पता चला है कि राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधकों के पद पर तैनात बिहार प्रशासनिक सेवा के कई अफसर फंसे हैं

पता चला है कि इन अफसरों ने मिल मालिकों के साथ मिलकर सरकारी चावल का घोटाला किया था। अब तक जांच रिपोर्ट में 25 करोड़ के चावल गबन करने का आरोप सिद्ध हुआ है।

चारा घोटाले की तर्ज पर किया चावल घोटालाः जिस चारा घोटाले में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव सजायाफ्ता हैं ठीक उसी तर्ज पर बिहार के 7 अफसरों ने चावल घोटाले को अंजाम दिया।

चारा घोटाले में स्कूटर पर लाखों रुपये के चारे की ढुलाई की बात सामने आई थी। ठीक उसी तरह चावल घोटाले में कागजों पर चावल ढुलाई दर्ज कर दी गई। जबकि ढुलाई में प्रयोग लाए जाने वाले वाहनों में स्कूटटर और अन्य दुपहिया वाहनों के नंबर दर्ज हैं।

जांच में पता चला कि पूर्वी चंपारण, गया और कैमूर जिलों में ट्रक नंबर के स्थान पर टेंपो और स्कूटर के नंबर डालकर इन पर सैकड़ों क्विंटल चावल का ट्रांसपोर्टेशन दिखा दिया गया।

मिल मालिकों के साथ अफसरों की मिलीभगत से राइस मिलों में कुटाई के लिए जितना धान जमा करना था, उससे आधा या चौथाई धान ही में जमा किया गया।

चावल गबन करने के बाद अफसरों ने कागजों पर इसे गलत ट्रक संख्या और मात्रा के साथ दर्ज कर दिया। रेकॉर्ड में दिखाया गया कि मिल में चावल तैयार होने के बाद उसे सरकारी गोदाम के बजाय बाजार में बेच दिया गया।

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