जिन पत्रकारों को इसका लाभ मिलनी चाहिए, उसे नहीं मिलने की परंपरा कायम रखते हुये इसमें पारदर्शिता नहीं बरती गई है और यदि इसकी न्यायपूर्ण जांच की जाए तो सबकी कलई खुलनी तय है।
चयन समिति में कई ऐसे लोग हैं,जिनसे पारदर्शिता की उम्मीद कदापि नहीं की जा सकती और इफ्रांसीसी प्रतिस्पर्धा नियामक ने गूगल पर लगाया 59.2 करोड़ डॉलर का जुर्माना के चयन के आधार सार्वजनिक होनी चाहिए।