राजनामा.कॉम। झारखंड सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के निदेशक राजीव लोचन बक्शी एवं जन सूचना पदाधिकारी जगजीवन राम के विरुद्ध न्यायिक दंडाधिकारी अशोक कुमार की अदालत में आईपीसी की धारा 24, 166, 188, 201/202, 217, 420 एवं 34 के तहत शिकायत वाद दर्ज हुआ है।
यह शिकायत वाद संख्या- 10400 / दिनांक 19.11.2022 वरिष्ठ लेखक-पत्रकार उमाकांत महतो ने वरिष्ठ अधिवक्ता अजय मिश्रा के द्वारा दायर कराया है।
खबर के मुताबिक, यह वाद जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के द्वारा वांछित सूचनाएं निदेशालय द्वारा नहीं दिए जाने व सूचना मांगने वाले उमाकांत महतो को सूचना उपलब्ध कराने के नाम पर बार बार कांर्यालय बुलाने व उन्हें प्रताड़ित करने के विरुद्ध दायर किया गया है।
उमाकांत महतो के अनुसार सूचना देने के नाम बार बार उन्हें भ्रमित और परेशान किया जाता रहा। उन्होंने छह सूचनाएं मांगी थी, जिसमें महत्वपूर्ण सूचना मांगी गई थी कि किन-किन अखबारों का अपना प्रिंटिंग मशीन है, नहीं दिया गया, ना ही यह बताने कि जहमत उठाई गई, यह बताने के लिए कि अखबार जितना प्रसार संख्या बताते हैं छापते हैं या नहीं। इसका भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया, इस सवाल पर भ्रमित करने का ही प्रयास किया गया।
उमाकांत महतो का कहना है कि साल भर में अखबारों को विज्ञापन के मद में अरबों रुपया सरकार आम जनता का पैसा खर्च कर देती है। सरकार अपनी उपलब्धियों को बताने या आम जनता के लिए हो रहे काम की जानकारी भी सरकार अखबार के माध्यम से ही जनता तक पहूंचाने पर विश्वास करती है, पर ठगी के अलावा कुछ नहीं होता।
सरकार द्वारा विज्ञापन पानेवाले 190 अखबार हैं। इसमें लगभग सभी भाषा के अखबार शामिल हैं । इसमे 90 के आसपास या थोड़ा ही कम अखबार जिसमें अंग्रेजी ऊर्दू, बांग्ला और बहुसंख्यक हिंदी के अखबार रांची मे छपते हैं।
उमाकांत महतो बताते है कि इनकी संख्या जिस आधार पर ये विज्ञापन लेते है, वह कुल 26,00,000 है। इतनी संख्या सूचना जन संपर्क विभाग के साइट मे दिखाया जाता, जो वर्तमान परिस्थितियों मे इतनी संख्या में अखबार छपना या छापा जाना मुमकिन ही नहीं।
उदाहरण के लिए दैनिक राष्ट्रीय सागर का हवाला दिया गया था। यह अखबार 85,000 हजार छपता है। इसी प्रसार संख्या पर इसे विज्ञापन मिलता है या दिया जाता है, यह अखबार जन सूचना विभाग निदेशालय व कहीं-कहीं ही दिखता है। ऐसा करनेवाला एकमात्र अखबार यही है, ऐसा नहीं है, बल्कि इनके जैसे ही अखबार सबसे अधिक है।
उल्लेखनीय है कि उमाकांत महतो पहले दैनिक राष्ट्रीय सागर अखबार के संपादक रह चुके हैं। उनके स्थान पर दूसरे वरीय पत्रकार को अखबार का संपादक बनाया गया है।
उमाकांत महतो के अनुसार आम जनता व सरकारी रुपये की बंदरबांट को लगाम लगाने के उद्देश्य से ही यह सूचना मांगी गयीं थी, पर राज्य सरकार की जवाबदेह एजेंसी ने सही सूचना या सहयोग न कर भ्रमित करने का ही प्रयास किया है। इसे गंभीरता से लेने पर सरकार का अरबों रुपए बच सकते हैं।
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