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बिहारः नालंदा में पत्रकारों पर जानलेवा हमला का शोर की पत्रकारिता का सच

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राजनामा.कॉम। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में पत्रकारिता की बेड़ा गर्क है। गली-गली उगे यूट्यूबर्स ने तो और भी बेड़ा गर्क रखा है। इन्हें मीडिया के एथिक्स का सामान्य ज्ञान भी नहीं झलकता है। न कोई योग्यता और न कोई प्रशिक्षण। बस हजार रुपए का माइक-आईडी और मोबाईल पकड़ा और चीखना-चिल्लाना शुरु। सिर्फ इसलिए कि धौंस जमाकर वसूली का चोखा धंधा किया जाए।

Nalanda Today E-Paper नामक फेसबुक पेज पर “नालंदा में पत्रकारों पर जानलेवा हमला को लेकर सुरक्षा की मांग, पत्रकारों पर हमला से लोकतंत्र हुआ शर्मसार शीर्षक” से एक पोस्ट वायरल की गई है।Bihar Deadly attack on journalists in Nalanda the truth of journalism 1

बिहार शरीफ से जारी पोस्ट में उल्लेख है कि अवैध ढंग से मिट्टी खुदाई को लेकर न्यूज बनाने गए चार पत्रकारों के साथ पिटाई का मामला प्रकाश में आया है। खबर बनाने को लेकर आक्रोशित बदमाशो ने पत्रकारों को रास्ते मे घेराबंदी कर पिटाई किया। संकट में पत्रकारों ने 112 पर फोन किया। वही पुलिस ने इस संबंध में एक बदमाश को गिरफ्तार किया ।इस घटने को लेकर पीड़ित पत्रकारों ने थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराया है । पत्रकारों की पिटाई का मामला बिहार थाना क्षेत्र के राजमा गांव का है। पत्रकारों का कहना है कि ग्रामीणों के संदेश पर जब राजमा खंदा जो नालंदा जिले के तीन थाना के सीमा लगा हुआ क्षेत्र है।

फेसबुक पोस्ट में आगे लिखा है कि अवैध खुदाई को लेकर समाचार संकलन के क्रम में नालंदा टुडे के राज शेखर, नव बिहार दूत के राहुल राज,अयोध्या टाइम्स के अमन चौधरी और राकेश प्रियदर्शी जब राजमा पहुंचे। तब पाया गया कि जमीन की कटाई माइनिंग विभाग के नियमानुसार नही है । समाचार संकलन के बाद जब पत्रकार लोग लौट रहे थे तो बदमाशों ने घेराबंदी कर पिटाई किया।

फेसबुक पोस्ट में लिखा है इसी दौरान इस धंधे से जुड़े और तथाकथित गावड कंपनी का ड्राइवर कल्लू (जैसा बताया गया नाम) बहस करने लगा और धीरे धीरे इसी धंधे से जुड़े लोग को उसने बुलाया और मारपीट करने लगा, रिपोर्टिंग माइक भी तोड़ दिए और गली गलौज के साथ मारपीट किया। साथी चैन और सोने की अंगूठी छीन लिया ।इसी दौरान अमन चौधरी किसी तरीके से भाग निकला। फिर बचे तीनों रिपोर्टरों को खूब पीटा ।

फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि पीड़ित पत्रकारों के अनुसार बदमाशों ने लोहे के रॉड, मुक्के आदि से बुरी तरह पिटाई कर डाला । और जान मारने की धमकी देने लगे। इतना ही नहीं पत्रकारों को वहा मौजूद गढ़े में डाल कर मट्टी से ढकने लगा । उसी दौरान जब वहा मौजूद ग्रामीण आपस में झगड़ा करने लगे तो मौके का फायदा उठाकर तीनों पत्रकार बहा से भाग निकले और थोड़ा दूर जाकर 112 डायल किया और सहायता प्राप्त कर दुबारा उस जगह गए और फिर सब वहा जो काम कर रहे थे सब भागने लगे और जो मुख्य आरोपी था वही पकड़ा गया। बाकी मट्टी खनन में लिप्त लोग वहा से भाग निकले पर जो सरगना का मुख्य आदमी पकड़ा गया और पुलिस बल उन्हें पकड़ कर बिहार थाना में सुपुर्द कर दिया गया। फिर सीमा विवाद को लेकर जांच पड़ताल हुआ इसके बाद अस्थावां थाना में बदमास को सौपा गया। पत्रकारों के अनुसार थाना प्रभारी ने बदमाश को छोड़ दिया।

फेसबुक पोस्ट के अनुसार इस घटना को लेकर जिले के वरीय पत्रकारों एवं समाजसेवियों ने कड़ी निन्दा की है साथ ही पीड़ित पत्रकारों को सुरक्षा की मांग की है।

राजनामा.कॉम की टीम ने पत्रकारों पर कथित हमले की पड़ताल की तो कई रोचक तत्थ सामने आए हैं। जोकि नालंदा की मीडियो में तेजी से उभरते यूट्यूबरों की जारी करतूत उजागर होती है। ये यूट्यूबर्स प्रायः पीडीएफ संस्करण पत्रों से जुड़कर अपना मिशन (धंधा) चोखा करते हैं।

राजनामा को मिली जानकारी के अनुसार अस्थावां थाना के जिस राजमा खंधा में अवैध बालू खनन की बात की जा रही है, वह गलत है। दरअसल, वहाँ एनएचआई द्वारा शनन विभाग की अनुमति से सड़क निर्माण हेतु मिट्टी खनन का कार्य किया जा रहा है। इसमें प्रभावित किसानों की भी सहमति भी मिली हुई है।

ग्रामीणों का कहना है कि कुछ युवक खनन स्थल पर अचानक आए और मोबाईल से वीडियो बनाने लगे। जब उनसे कारण पूछा गया तो वे अवैध बालू खनन किए जाने का हल्ला-गुल्ला करने लगे। वे मानने को तैयार नहीं थे कि एनएचआई के कार्य चल रहे हैं और किसी को कोई आपत्ति नहीं है। इसी बात को लेकर कुछ ग्रामीणों और आए युवकों के साथ आपस में उलझ गए। नौबत मार-पीट तक पहुंच गई।

इसके बाद भागते युवक ने न सिर्फ एक वाहन चालक को पकड़ कर साथ ले गए, बल्कि बिहार सरकार के 112 नबंर पर भी कॉल कर अवैध बालू खनन होने और माफियाओं द्वारा पत्रकारों के साथ मारपीट किए जाने की सूचना दे दी। उसके बाद पुलिस ने मामले की जाँच की और निर्दोष वाहन चालक को छोड़ दिया।

यही नहीं, इस घटना के बाद कतिपय पत्रकारों द्वारा बिहार थाना में भी हंगामा मचाया गया और खनन कार्य में जुटे लोगों और ग्रामीणों को बालू माफिया एंव पत्रकारों की पिटाई बताते हुए पुलिस पर कार्रवाई करने का दबाब बनाया गया। लेकिन पूरे मामले की जाँच में घटना कुछ और ही निकला, जो पत्रकारिता के नाम पर हो रही हरकतों को बेनकाब करती है।

देखिए नालंदा में पत्रकारों पर कथित जानलेवा हमला का वायरल वीडियो…  

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