आज झारखंड के सीएम अर्जुन मुंडा की प्रेस कॉन्फ्रेंस था। उसे देखकर यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि यहां के पत्रकारों में जनमुद्दों पर सवाल खड़े करने की इच्छाशक्ति ही नहीं बची है ।
वेशक यह एक सरकारी आयोजन था, जिसे हर मोर्चे पर विफल सीएम ने अपनी कामयाबी का ढिंढोरा पीटने के लिए आयोजित किया गया था। इस प्रेस कॉन्फ्रेस में पत्रकारों एक बड़ा समुह लीक से हटकर सवाल कर रहे थे। उससे साफ जाहिर होता है कि यहां के पत्रकार कितने बड़े चिरकुट हैं।
बात यही खत्म नही होती। सत्ता पक्ष से जुड़े़ एक खास वर्ग के पत्रकार सरकारी भोजन-पानी पर झपट रहे थे। मुख्यमंत्री को जमीन से जुड़े सबालों का सामना करना न पड़े, इसलिए वे माइक की छीना-झपटी की रेस में भी हावी रहे।
निःसंदेह कल के सारे अखबारों में खाउ-पकाऊ की नीति के बल घिसट-घिसट कर चल रही इस निकम्मी मुंडा सरकार के गुणगाण देखने को मिलेंगें।
सबसे बड़ी बात यह है कि सीएम ने यह प्रेस कॉन्फ्रेस कल से बोकारो में होने बाली भाजपा कार्यकारिणी की महत्ती बैठक के मद्देनजर की गई थी, ताकि विक्षुब्धों के सामने मीडिया के मार्फत गुणगान किया जा सके।