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अरनब गोस्वामी पर सुप्रीम कोर्ट की कृपा, विशेषाधिकार हनन मामले में मिला संरक्षण

कोर्ट ने कहा, 'विधानसभा को यह समझने की सलाह दी जानी चाहिए थी कि कोर्ट जाने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकार है।'

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राजनामा.कॉम। रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ अरनब गोस्वामी से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका लगा है।

दरअसल, शुक्रवार को कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा विशेषाधिकार हनन मामले में पत्रकार अरनब गोस्वामी को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए शीर्ष कोर्ट ने अदालत जाने को लेकर अरनब गोस्वामी को लिखे गए पत्र पर महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अरनब गोस्वामी को उनके मामले के खिलाफ जारी विशेषाधिकार नोटिस में सुनवाई तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।

दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा की ओर से अरनब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस जारी हुआ था, जिसके खिलाफ अरनब ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव ने लेटर भेजा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह लेटर गंभीरतापूर्वक न्याय प्रशासन में दखल देने वाला है, क्योंकि इसमें कोर्ट जाने को लेकर गोस्वामी को धमकाया गया है। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन ने इस खत को अभूतपूर्व और चौंकाने वाला बताया।

कोर्ट ने कहा, ‘लेटर लिखने वाले का स्पष्ट उद्देश्य याचिकाकर्ता को भयभीत करना प्रतीत होता है, क्योंकि उसने कोर्ट का रुख किया और उसे ऐसा करने को लेकर जुर्माने की धमकी दी गई।’

कोर्ट ने आगे कहा, ‘विधानसभा को यह समझने की सलाह दी जानी चाहिए थी कि कोर्ट जाने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकार है।’

सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के सचिव को दो सप्ताह बाद इस केस की अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में हाजिर रहने को कहा है। तब तक कोर्ट ने इस मामले में गोस्वामी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की अगुआई वाली बेंच ने इस मामले में वरिष्ठ वकील अरविंद दातार को न्याय मित्र नियुक्त किया है। साथ ही इस मामले में सहायता के लिए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को नोटिस जारी किया है।

गोस्वामी के वकील हरीश साल्वे ने 13 अक्टूबर को लिखे गए लेटर को कोर्ट के सामने पेश किया। साल्वे ने 47 वर्षीय पत्रकार की पत्नी की ओर से शपथपत्र के साथ आवेदन दिया, क्योंकि खुद अरनब एक अन्य मामले में न्यायिक हिरासत में हैं।

बता दें कि विधानसभा सचिव ने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की आलोचना के लिए अरनब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस जारी किया था।

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