Sunday, December 3, 2023
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    भावनाओं को भड़काती दैनिक हिन्दुस्तान

    कभी बिहार मे जातिवाद और वर्गवाद की राजनीति चरम पर था.आज भी है,लेकिनhh20022 अब कुछ हद तक टूटा है और वहाँ जिस तरह की मानसिकता करवट ले रही है,उस आलोक मे शनैःशनैः टूटते जाने के आसार दिख रहे है.
    यदि हम बिहार की पत्रकारिता की नजर से देखे तो उस समय सर्वाधिक प्रसार वाले दैनिक हिनुस्तान ने अपनी बुलन्दी बरकरार रखने हेतु उक्त विक्रीति को खूब बढावा दिया था.यह बात दीगर है कि समय के साथ दैनिक हिन्दुस्तान की बादशाहियत को कई समाचारपत्र ज्योज्यो तोड रहे है,त्योत्यो उस तरह के कुप्रचारो पर भी अंकुश लगता दिख रहा है.
    इस अखबार के लिये कभी मै मुजफ्फरपुर से लालूजी की जातिवादीवर्गवादी राजनीति के दौर मे समचार संकलण,लेखन संप्रेषण का कार्य करता था.चुनावो मे निर्देशानुसार क्षेत्र की जातिवार और वर्गवार मतदाता का झुकाव उम्मीदवारो के प्रति होने की खबरे मुहैया करानी पडती थी.चाहे स्थिति कुछ भी हो.
    वहरहाल,रांची (झारखंड)से प्रकाशित दैनिक हिन्दुस्तान भी अपनी साख बढाने की दिशा मे ठीक वैसा ही तेवर अपनाता दिख रहा है,जैसा कि कभी बिहार मे था.आप संलग्न कतरन मात्र से समझ सकते है कि आखिर इस तरह के भ्रामक खबरो को प्रमुखता से प्रसारित करना कितना जनहित मे है?
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