यह सब देखने की राँची एक्सप्रेस के संपादक को फुर्सत नहीं!
अज़ीज आकार आज मैनें सरसरी निगाह से प्रांत का सबसे पुराना अखबार दैनिक “राँची एक्सप्रेस” का
प्रथम खबर को देखिये : संवाददाता ने महज कयास के आधार पर पिता को हत्यारा करार दे दिया है.इस खबर कीसूचना काफी प्रमुखता से मुख्यपृष्ठ पर भी छापी गई है.तथ्यों की पड़ताल व शीर्षक के आंकलन में संपादकीयविभाग की रामकहानी स्वतः वयां हो जाती है.
दूसरी खबर को देखिये: संवाददाता के अनुसार पारा शिक्षकों की हड़ताल १३वें दिन जारी है लेकिन,संपादकीयविभाग ने समाचार में ४३वें दिन करार दिया है.
प्रथम पेज पर प्रमुखता से प्रकाशित अब तीसरे खबर का हाल देखिये: समाचार में प्राथमिकी दर्ज किये जाने केसूचना मायने रखते है जबकि,समाचार का शीर्षक समसमायिकता से इतर है.
राँची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के वरिष्ठ शिक्षक-प्रबुद्ध प्रधान संपादक बलबीर दत्त केमार्गदशन में प्रकाशित इस समाचार पत्र के आज के अंक में दर्जनों ऐसे खबर प्रकाशित हैं,जिसका विस्तार से उल्लेख किया जा सकता है.