Home जर्नलिज्म अमिताभ बच्चन और पटना के अधकचरे पत्रकार

अमिताभ बच्चन और पटना के अधकचरे पत्रकार

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सदी के महानायक का दर्ज़ा पा चुके अमिताभ बच्चन अपनी आने वाली फिल्म आरक्षण के प्रचार के लिए जब बिहार की राजधानी पटना पहुंचे तो दो दिनों के अपने प्रवास के दौरान उन्होंने कई खट्टे-मीठे अनुभव लिए भी और दिए भी। वे बिहार आए तो थे प्रकाश झा के अनुरोध पर लेकिन मीडिया से ऐसे दो-चार हुए कि उन्हें यह अनुभव याद रहे ना रहे, वहां के पत्रकारों पर उनके अनोखे कलात्मक व्यक्तित्व की छाप शायद वर्षों तक रहे।
अमिताभ से जो भी मिला, उनके अत्यंत विनम्र अंदाज और सहज आत्मीय भाव का फैन बन गया। यहाँ तक कि प्रकाश झा के शॉपिंग मॉल और मल्टीप्लेक्स परिसर में मेले जैसी भीड़ के बीच आयोजित ‘प्रेस कॉन्फ्रेंस’ में हास्यास्पद सवालों से भी उनका संयम नहीं टूटा। अपने करीयर की शुरुआत में मीडिया को नो-एंट्री कह कर विवादों में रह चुके अमिताभ ने प्रेस कांफ्रेंस मे घुस आए कुछ अति उत्साही युवा मीडियाकर्मियों के बार-बार पूछे गए अटपटे और मूर्खतापूर्ण सवालों पर भी अमिताभ ने ख़ुद को असहज नहीं होने दिया।
सवालों की बानगी देखिए। एक नौजवान पत्रकार ने बड़ी ही संजीदगी से पूछा, ”आप को नहीं लगता कि जब भगवान को एक्टिंग करने का मन किया तो वो आप के रूप में अवतरित हुए?” इस पर जहां इक तरफ हॉल में मौजूद पत्रकार बगलें झांकने लगे वहीं अमिताभ क्या बोलूँ का भाव लिए हुए चुप ही रहे।
एक अन्य पत्रकार ने पूछा, ”कल आप बंगलौर में थे, तो क्या उसी शहर में कभी शूटिंग के दौरान अपने साथ हुए हादसे को आपने याद नहीं किया?”
अमिताभ बच्चन इस सवाल पर क्षण भर के लिए सोच में पड़ गए, फिर थोड़ा सोच कर कहा, ”किसी शहर को मैं किसी दुर्घटना के साथ जोड़ कर याद नहीं करता।
अभी सवाल-जवाब चल ही रहा था कि किसी मीडियाकर्मी ने अमिताभ से फ़रमाइश कर दी कि वे अपनी किसी भोजपुरी फ़िल्म का डायलॉग सुनाएं। अमिताभ थोड़े सकपकाए, फिर विनम्रता से कहा कि अभी याद नहीं है। फ़ौरन किसी ने अनुरोध मारा कि चलिए अपनी फ़िल्म का कोई गाना ही सुना दीजिए। बिल्कुल अपमान जनक सी लग रही स्थिति को ख़ुद अमिताभ बच्चन ने ही बहुत शालीनता के साथ संभाला। उन्होंने साथ में बैठे प्रकाश झा और मनोज बाजपेयी समेत तमाम पत्रकारों को हो रही शर्मिंदगी का ख़्याल करते हुए इस फरमाइश को हंस कर टाल दिया।
इतने में किसी ने सवाल उछाला, ”मुंबई फ़िल्म उद्योग के सबसे स्मार्ट और अभी भी जवान जैसी आपकी शक्ल-सूरत का राज़ क्या है? इस पर उनके अभिनय-कुशल मन से रहा नहीं गया और झट गंवई अंदाज में बोले, ”अरे ई सब आप ने कहाँ से देख लिया? यहाँ तो बाल-वाल सब सफ़ेद पड़े हैं।”
लेकिन बात यहीं रुकी नहीं और ज़ोर से किसी ने सवाल दागा- अच्छा ये तो बताइए कि आप अपने घर में पोती का इंतज़ार कर रहे हैं या पोता का। अमिताभ ने सहज भाव से जवाब दिया कि वे बेटा या बेटी में भेदभाव नहीं करते। सवाल पूछने वाले बुद्धिमान मीडियाकर्मी (पत्रकार नहीं लिखा जा सकता) को इस जवाब से संतोष नहीं हुआ और उसने पहले से भी अधिक ज़ोर डालकर पूछा, ”फिर ये तो बता दीजिए कि ये ख़ुशख़बरी हमलोगों को कब तक मिलेगी?”
इस बार अमिताभ ने नहले पर दहला मारा और हास्यपूर्ण शरारती मुद्रा में हाथ जोड़कर तपाक से कहा, ”भाई साहब, मैं गर्भवती नहीं हूँ।” इतना सुनना था कि पूरा हॉल ज़ोरदार ठहाके से देर तक गूंजता रहा। (मीडिया खबर)

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