अन्य
    Thursday, April 18, 2024
    अन्य

      बिहार के ऐसे पुलिस उप महानिरीक्षक-संगठन को PIB-RNI नियमों और न्यूज पोर्टल-वेबसाइट का ज्ञान ही नहीं है?

      पुलिस उप महानिरीक्षक (मानवाधिकार), बिहार के वायरल हो रहे एक पत्र से वेबसाइट संचालकों में भ्रम और रोष का माहौल है। क्योंकि आरएनआई या पीआईबी द्वारा जब किसी वेबसाइट या डिजिटल चैनल को मान्यता देने का अब तक कोई प्रावधान ही नहीं है तो फिर वैध या अवैध का सवाल कैसे खड़ा किया जा रहा है

      FRUD BIHAR POLICE PATRAKAR 2दरअसल, पुलिस उपमहानिरीक्षक ने बिहार के सभी वरीय पुलिस अधीक्षक को संबोधित करते हुए 5 अगस्त 20 को एक पत्र लिखा है, जिसमें राज्य में चलने वाले कथित अवैध न्यूज़ पोर्टल यू ट्यूब चैनल ( बिना आर एन आई और पी आई बी के) को बंद करने का अनुरोध किया है। उन्होंने यह पत्र नेशनल प्रेस यूनियन बिहार के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश कुमार पांडे के पत्र के आलोक में लिखा है।

      इस पत्र में उप महानिरीक्षक ने बताया है कि इस विषयक प्रासंगिक पत्र की मूल प्रति संलग्न है और शैलेश कुमार पांडे से प्राप्त पत्र में बिहार राज्य में न्यूज़ चैनल के नाम पर चल रहे अवैध रूप से (बिना आर एन आई और पीआईबी ) के न्यूज़ पोर्टल एवं यूट्यूब चैनल पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है।

      इसी अनुरोध के आधार पर पुलिस उपमहानिरीक्षक (मानवाधिकार) ने पुलिस अधीक्षकों से अनुरोध किया है कि वर्णित बिंदुओं के आलोक में मामले की जांच कर नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाए तथा कृत कार्रवाई से पुलिस मुख्यालय को अवगत कराया जाए।

      लेकिन बड़ा सवाल यहां यह है कि अवैध वेबसाइट का कोई अर्थ नहीं, क्योंकि पीआईबी या आरएनआई के किसी प्रावधानों में अब तक किसी वेब साइट या यूट्यूब चैनल को मान्यता देना नहीं है। ऐसे में उसके हवाले से किसी पोर्टल या यूट्यूब चैनल के अवैध होने का सवाल कहां से आता है?

      कहें तो, बिना आरएनआई या पीआईबी के पोर्टल अवैध कैसे होंगे, जब केंद्र सरकार के इन विभागों को किसी साइट को मान्यता देने का अब तक कोई प्रावधान ही नहीं है? इस तरह का कोई दिशा-निर्देश मंत्रालय के किसी वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है।

      FRUD BIHAR POLICE PATRAKAR 1यह जानकारी पुलिस उप महानिरीक्षक (मानवाधिकार) को नहीं है या फिर उस पत्रकार संगठन को नहीं पता! हैरत की बात है कि राष्ट्रीय पत्रकार संघ का दावा करने वाले प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पांडे को इतनी भी जानकारी नहीं है। ऐसे पत्रकार संगठन का बौद्धिक स्तर किस निम्न स्तर के होंगे, इसकी सहज कल्पना की जा सकती है।

      महोदय ने नासमझी में पुलिस प्रशासन को पत्र लिख डाला कि ये अवैध है। अधूरी जानकारी के आधार पर आखिर क्यों पत्र जारी कर दहशत पैदा किया गया है?

      यहां यह बता दें कि कोई भी वेबसाइट बिहार सरकार या केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं होता। जो भी बड़े अखबारों के या मीडिया हाउस के वेबसाइट ई पत्रों साथ साथ चलते हैं, वह भी अलग से आरएनआई या पीआईबी के द्वारा मान्यता लिए हुए नहीं होते हैं।

      लेकिन कोई भी न्यूज़ पोर्टल जो चल रहे हैं, चाहे वह यूट्यूब हो या वेबसाइट, उन सभी पर वह सभी नियम कायदे लागू होते हैं, जो किसी प्रिंट मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर हो सकते हैं।

      यानी अगर कुछ गलत खबर चलाई जा रही है तो यहां भी अवमानना का या अपराधिक केस दर्ज किया जा सकता है, साथ ही न्यूज़ पोर्टल पर साइबर एक्ट के तहत भी मामले लागू होते हैं।

      ऐसा ही पिछले दिनों ही पीआईबी द्वारा आयोजित वेबिनार में ही अपर महानिदेशक आर्थिक अपराध इकाई , बिहार पुलिस जी एस गंगावर ने कहा था।

      ऐसे में अगर कोई न्यूज़ पोर्टल या यूट्यूब चैनल कोई गलत खबर चलाता है तो उसी एक खास पोर्टल पर कोई कार्यवाही की जा सकती है, वैसे ही जैसे किसी खास अखबार या किसी खास चैनल पर कोई कार्रवाई की जा सकती है।

      ऐसे में सभी (बिना आरएनआई और पीआईबी के ) वेबसाइट्स को अवैध कहना ही अपने आप में आधारहीन है और इस आधार पर किसी कार्रवाई की अनुशंसा आखिर कैसे की जा सकती है?

       इस तरह की किसी कार्रवाई का अनुरोध करने से पहले पुलिस उप महानिरीक्षक (मानवाधिकार) ने उक्त पत्रकार संगठन और उसके अनुरोध के बाबत सत्यता की जांच की भी है या नहीं ? क्योंकि बिना आरएनआई और पीआईबी के पोर्टलों को अवैध कहना ही आधारहीन है।

      यह भी गौरतलब है कि भले ही किसी वेबसाइट को मान्यता प्रदान करने का प्रावधान बिहार सरकार या केंद्र ने नहीं किया हो, इसके बावजूद कोई वेबसाइट, यू ट्यूब चैनल अवैध नहीं होते।

      क्योंकि वेबसाइट जिस भी सर्वर प्रोवाइडर से लिये / ख़रीदे जाते हैं, वहां संचालकों का पूरा विवरण लिया जाता है और वे वहीं पंजीकृत होते हैं। यू ट्यूब चैनल भी यू ट्यूब पर रजिस्टर्ड होते हैं।

      ऐसे में प्रतीत होता है कि पत्रकार संघ ने किसी खुंदक या आपसी रंजिश में ऐसा कदम उठाया है। क्योंकि आज के दौर में कई वरिष्ठ पत्रकार चर्चित वेब पोर्टलों या यूट्यूब चैनल का संचालन कर रहे हैं। (आलेखिका मीडिया मोरचा के संपादक हैं)

      संबंधित खबर
      error: Content is protected !!