मान्यवर, सबसे पहले तो आपको बधाई देता हूं आक्रोषित आवाम को उल्लू बनाकर उनके आक्रोष की आग से भ्रष्टो एवं पूंजीवादियो को बचाने के लिये गहरी साजिश रचकर गलत दिशा मे मोडने एवं उसकी लहर पर सवार हो कर सता मे काबिज होने के लिये। ईतिहास न तुम्हे ब्रूटस मानेगा न जय चंद । गुलाम मानसिकता की शिकार जनता को रटू तोते जो आईएएस बन जाते है , विद्वान दिखने लगते है इन विद्वानो का कथन शाश्वत सत्य एवं स्वार्थ का कार्य त्याग दिखता है। तुम यह दिखावा बंद कर दो कि तुमने कोई त्याग किया है ।
तुमने नौकरी गांधी का साबरमती आश्रम बनाने के लिये नही त्यागा , बिनोबा के भूदान के लिये या बाबा अप्टे की तरह कोढियो की सेवा के लिये नही त्यागा। तुम्हारे पास जब नारायनमुर्ति ने माल पहुंचा दिया फ़ोर्ड मे बैठकर तब तुमने नौकरी त्यागी। जिवन भर नौकरी कर के जितना मिलता उस से ज्यादा मिल गया । तुमने नौकरी इसलिये छोडी क्योकि तुम्हारा सपना सीएम बनकर अपने जैसे सैकडो आई ए एस के उपर राज करने का था।
तुम्हारे दो जमुरो को जब भी देखता हूं हंसी आती है । एक तो है वह चेहरिय बुद्धिजीवी दिखाने के लिये परेशाम योगेन्द्र यादव । जब भी देखता हूं चेहरिय बुद्धिजीवी (facial intellectual ) एवं मानसिक बुद्धिजीवी ( mental intellectual ) का विरोधाभास का प्रतीक लगता है वह । दुसरा है शुतुरमुर्ग विश्वास । लिखने मे झिझक हो रही है लेकिन क्या करु? सच लिखने की आदत पड गई है। वह शुतुरमुर्ग यूपी-बिहार मे गां मे होनेवाली नौटंकी का लौंडा जैसा दिखता है । लौंडा को तुम्हारे जैसे सभ्य नौचनिया कहते है।
अब एकाध पोल खोलता हूं। तुम्हारा वह फ़ेसियल इंटिलेक्चूयल योगेन्द्र यादव है न , उसने गया के एक व्यक्ति जो छात-युवा संघर्षवाहिनी से जूडे रहे है , प्रदीप कुमार “दीप” को फ़ोन क्या था आप मे शामिल होने के लिये , आप की कमान संभालने के लिये लेकिन तुम्हारे ३ दिवसिय धरने ने तुम्हारी असली सूरत सबको दिखा दी । प्रदीप जी ने उसे जवाब दिया कि क्रांति का तो गर्भपात कर दिया आपलोगो ने । पता है ? तुम्हारे जमूरे ने क्या कहा , छोडिये वह सब आप हमारे साथ आईये।
अब जरा बिहार की एक महाभ्रष्ट नेत्री के बारे मे बता दूं जिसे तुमने अपने दल मे शामिल किया है। परवीन अमानुल्लाह। पत है उसके बारे मे कुछ ? समाज कल्याण विभाग की इस विभाग की मंत्री थी परवीन अम्मानुल्लाह । इनका परिचय इनके पति अफजल अमानुल्लाह से है ये आईएएस है लेकिन रुतबा किसी कैबिनेट मंत्री से कम नही। फिलहाल वे प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली मे है। जब बिहार मे रहते थे तो दरबार लगाते थे। विधायक से लेकर अधिकारी तक इनके यहां दरबार लगाया करते थे।
राजनितिक महत्वकांक्षा से लवरेज बाबरी आंदोलन के सूत्रधार सैयद सहाबुद्दीन की पुत्री परवीन अमानुल्लाह ने एक एन जी ओ का दामन थामकर पटना मेडिकल कालेज एवं अस्पताल की दुर्दशा को उठाना शुरु किया । आई ए एस की बीबी , अखबारो मे जगह मिलने लगी। लगा जैसे अब परिवर्तन हो हीं जायेगा। मेडिकल कालेज स्वर्ग बन जायेगा। मेडीकल अस्पताल तो जहां था वहीं रहा लेकिन परवीन अमानुलाह मंत्री जरुर बन गई। सबसे मजेदार बात यह है कि राज्यपाल के विशेष सचिव के रुप मे कार्यरत अफजल अमानुलाह ने इनको शपथ दिलाने के लिये इनका नाम पुकारा था।
राज्यपाल के विशेष सचिव के रुप मे भी अफजल अमानुलाह की भूमिका एक मध्यस्थ की थी जो उस समय के राज्यपाल देवबंद कुंवर तथा राज्य सरकार के बीच कुलपतियो की नियुक्ति के कारण आइ खटास को दुर करने के लिये प्रयास रत्त थे। उनका काम भी कैबिनेट कार्डिनेशन का था। अमानुलाह की बेटी का नाम बियाडा जमीन आवंटन घोटाले मे उभर कर सामने आया था जब उसको नियम के विरुद्ध किमती जमीन नाम मात्र की किमत पर आवंटित कर दी गई थी।
परवीन अमानुल्लाह के अधीन एक विभाग है जो आंगनवाडी का संचालन और नियंत्रण करता है। उसे आई सी डी एस के नाम से जाना जाता है। मंत्री अमानुल्लाह की कार्यशैली उस काल को याद दिलाती है जब किसी दंबंग मंत्री का निजी सचिव इतना शक्तिशाली हुआ करता था कि सारा विभाग उसके इशारे पर नाचता था। अमानुलाह का एक निजी सचिव है ई० बिरेन्द्र सिंह , यह व्यक्ति आंगनवाडी केन्द्रो पर निरीक्षण करने के नाम पर घुम घुम कर पैसे की वसूली करता है । इसके लिये मंत्रालय से फोन आता है।
जिन केन्द्रो से पैसा नही मिला या स्थानीय राजनिति के कारण जिनको रद्द करना है , उन केन्द्रो को रद्द करने की अनुशंसा यह व्यक्ति करता है और इसकी अनुशंसा का पालन हो इसके लिये भी अमानुलाह के मंत्रालय से फोन आता है , फोन करता कौन है यह तो मंत्री हीं बतायेंगी। गया मे एक चपरासी है जो खुद मे सरकार है । मुन्ना सरकार वह अमानुलाह के हीं विभाग का है और बाल विकास परियोजना अधिकारी गया नगर के कार्यालय मे पदस्थापित है।
यह मुन्ना सरकार बजाप्ता एक सुची रखता है जिसके आधार पर प्रत्येक आंगनवाडी केन्द्र से दो-दो हजार रुपये की वसूली करता है जिसका बटवारा नीचे से लेकर मंत्रालय स्तर तक होता है। इस मुन्ना सरकार के खिलाफ अनेको बार शिकायत हुई , एक बार इसका तबादला भी पटना हुआ लेकिन फिर यह जुगाड बैठाकर वापस आ गया । इसके भ्रष्टाचार की कभी कोई जांच नही हुई क्योंकि अमानुल्लाह के विभाग के आला अधिकारियो को मुन्ना की पहुंच और रुतबे का पता है। यह है तुम्हारी नई सहेली की गाथा। खुजलीवाल बिहार दिल्ली नही है ।
नितीश सीएम के रुप मे भले हीं भ्रष्टाचार और अफ़सरशाही पर अंकुश न लगा पाये हो , उसका लाभ कोई चोर नही ले सकता . । मैने पहले भी लिखा है इसबार हम फ़क्कडो से होगा मुकाबला यहां कोई शीला दिक्षित भी नही है । । समझे बबुआ ? अपने बैंक खाते मे जो पैसा है उसे जल्दी से निकाल कर शुन्य कर दो अन्यथा शुरुआत ही होगी बैंक खाता , मकान के कागजात , बीबी की आय से ।