राजनामा.कॉम। रामदेव नाम का ढोंगी बाबा असल में कितने घिनौने चरित्र का और कितनी घटिया रुग्ण मानसिकता का शिकार है। जो दूसरों का उपचार करने की बात करता है, उसका स्वयं का मस्तिष्क कितना विकृत हो चुका है। जिसे दलित समाज की बहन-बेटियों की इज्जत को तार-तार करने में शर्म नहीं आती, उसे इंसान कहना ही इंसान को गाली देना है। जो पुरुष एक औरत की इज्जत लूटता है तो उसको फांसी की सजा की मांग की जाती है। रामदेव ने तो देश की करोड़ों दलित बहन-बेटियों की इज्जत को तार-तार कर दिया है, अब रामदेव को कितनी बार फांसी पर लटकाया जाना चाहिये, इस बारे में भी देश के लोगों को सोचना होगा। अन्यथा ये भी साफ कर देना चाहिये कि इस देश में दलित स्त्रियों की इज्जत का कोई मूल्य नहीं है! अब इस देश से सहिष्णु, निष्पक्ष और सामाजिक न्याय की व्यवस्था में विश्वास रखने वाले देश के बुद्धिजीवियों, स्त्री हकों के लिये सड़कों पर आन्दोलन करने वालों, दलित नेताओं, स्त्रियों के हकों के लिये बढ़चढ़कर लड़ने वाले और लडने वालियों सहित, देश के कथित स्वतन्त्र एवं समभावी मीडिया के लिये भी यह परीक्षा की सबसे बड़ी घड़ी है कि वे रामदेव को जेल की काल कोठरी तक पहुंचाने में अपनी-अपनी भूमिकाएं किस प्रकार से अदा करते हैं! अब देखना यह भी होगा कि इस देश में दलित अस्मिता की खुलेआम धज्जियां उड़ाने वाले अपराधी रामदेव का अन्तिम हश्र क्या होता है?

काले धन के साथ रामदेवा का काला चेहरा सामने आये कुछ ही दिन बीते हैं कि रामदेव का कलुषित चारित्रिक भी देश ने देख लिया है। अब तो सारी हदें पार करते हुए रामदेव ने सम्पूर्ण दलित समाज की बहन-बेटियों की इज्जत को तार तार कर दिया है।
रामदेव का कहना है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी दलित बस्तियों में हनीमून मनाने जाते हैं। इससे पता चलता है कि रामदेव नाम का ढोंगी बाबा असल में कितने घिनौने चरित्र का और कितनी घटिया रुग्ण मानसिकता का शिकार है। जो दूसरों का उपचार करने की बात करता है, उसका स्वयं का मस्तिष्क कितना विकृत हो चुका है। जिसे दलित समाज की बहन-बेटियों की इज्जत को तार-तार करने में शर्म नहीं आती, उसे इंसान कहना ही इंसान को गाली देना है।
इतनी घटिया टिप्पणी के बाद भी दलित समाज आश्चर्यजनक रूप से चुप है, ये भी दलितों के लिये अपने आप में शर्म की बात है। अन्यथा ऐसे घटिया व्यक्तव्य के बाद तो रामदेव नाम के ढोंगी का ढोंग सदैव को नेस्तनाबूद हो जाना चाहिये था। अभी तक तो रामदेव को जेल में होना चाहिये। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि देश के स्वघोषित भावी प्रधानमंत्री से गलबहियां लड़ाने वाले रामदेव को कोई भी छूने की कोशिश कैसे कर सकता है, आखिर सारे मनुवादियों का साथ जो उनके पीछे है। अन्यथा रामदेव की खुद की औकात ही क्या है? रामदेव का मनुवादी, कलुषित और कुरूप चेहरा देश और दुनिया के सामने है।
अब इस देश से सहिष्णु, निष्पक्ष और सामाजिक न्याय की व्यवस्था में विश्वास रखने वाले देश के बुद्धिजीवियों, स्त्री हकों के लिये सड़कों पर आन्दोलन करने वालों, दलित नेताओं, स्त्रियों के हकों के लिये बढ़चढ़कर लड़ने वाले और लडने वालियों सहित, देश के कथित स्वतन्त्र एवं समभावी मीडिया के लिये भी यह परीक्षा की सबसे बड़ी घड़ी है कि वे रामदेव को जेल की काल कोठरी तक पहुंचाने में अपनी-अपनी भूमिकाएं किस प्रकार से अदा करते हैं! अब देखना यह भी होगा कि इस देश में दलित अस्मिता की खुलेआम धज्जियां उड़ाने वाले अपराधी रामदेव का अन्तिम हश्र क्या होता है?