झारखंड की भ्रष्ट व्यवस्था का कोई सानी नहीं है। सच पुछिए तो इसकी जड़ में नौकरशाहों की बोलती तूती है। इनका कहीं कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। इन पर भूले-भटके कोई कार्रवाई की बात उठती भी है तो वे अपनी हर साक्ष्य को गायब करवा डालने का मादा रखते हैं।
कहते हैं कि अक्टूबर,2011 में सीएमओ यानि मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर कार्मिक विभाग ने राज्य के 13 आईएएस अफसरों पर सीधी कार्रवाई करने की बात की। लेकिन तब इनसे संबंधित फाइल गुम होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
उसके बाद सीएम सेक्रेटरी ने उन दबी फाईलों को खोजने का निर्देश कार्मिक विभाग को दिया। लेकिन आज तक न तो संबंधित फाइल ही मिल सकी है और न ही गंभीर मामलों के आरोपी उन 13 आईएएस अफसरों पर कोई कार्रवाई ही हो सकी है।
राज्य कार्मिक विभाग में जिन 13 आईएएस अफसरों के काले कारनामों की फाईल गुम बताई जा रही है, वे हैं ……
1. आलोक गोयलः इन्होंने टाउन हॉल के निर्माण में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी की और उससे जुड़े कागजात को नष्ट कर दिए।
2. भगवान प्रसादः इन्होंने विभागीय स्तर पर अनियमित ढंग से रखे गए अवैध कर्मचारियों की सेवा नियमित की और खूब माल बटोरे।
3. सुधीर प्रसादः ये चर्चित अधिकारी एक बड़े भूमि घोटाले में संलिप्त हैं।
4. ए.के. पाण्डेयः इन्होनें राशन कार्ड की छपाई में जमकर गड़बड़ी की है।
5. डॉ. प्रदीप कुमारः ये झारखंड राज्य में हुए करोड़ों के दवा घोटाला में शामिल रहे हैं।
6. विष्णु कुमारः इन्होंने चुनाव के दौरान खास उम्मीदवारों के पक्ष में काम किया है।
7. पूजा सिंघलः इन्होंने अपने कार्य से निलंबित कनीय अभियंताओं के नाम करोड़ों रुपए की राशि का भुगतान अग्रिम कर दिया।
8. अरुण सिंहः इन्होंने पर्यटन के लिए फिल्म बनाने के नाम पर अनियमियता बरती।
9. बी. के. त्रिपाठीः इन्होंने स्वर्णरेखा परियोजना में जमीन डायवर्शन घोटाला किया।
10. मनीष रंजनः इन्होंने पाकुड़ में डीसी रहने के दौरान वित्तीय अनियमियता के रिकार्ड बना डाले।
11. संपत सिंह मीणाः इनके खिलाफ स्थानीय स्तर पर कामकाज में खूब गड़बड़ी की है।
12. के. के. खण्डेवालः इन्होंने चुनाव आयोग के अनुसार चुनाव के दौरान गड़बड़़ी की है।
13. मस्त राम मीणाः इन्होंने साहेबगंज जिले के डीसी पद पर रहने के दौरान मुख्यमंत्री कन्या दान योजना की सामग्री खरीद में घोटाला किया है।
……….इन्द्रदेव लाल की रिपोर्ट